Board Paper of Class 10 2017 Hindi (SET 1) - Solutions
(i) इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं- क, ख, ग और घ।
(ii) चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
(iii) यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमश: दीजिए।
(ii) चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
(iii) यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमश: दीजिए।
- Question 1
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 5 = 5)
देश की आज़ादी के उनहत्तर वर्ष हो चुके हैं और आज ज़रूरत है अपने भीतर के तर्कप्रिय भारतीयों को जगाने की, पहले नागरिक और फिर उपभोक्ता बनने की। हमारा लोकतंत्र इसलिए बचा है कि हम सवाल उठाते रहे हैं। लेकिन वह बेहतर इसलिए नहीं बन पाया क्योंकि एक नागरिक के रूप में हम अपनी ज़िम्मेदारियों से भागते रहे हैं। किसी भी लोकतांत्रिक प्रणाली की सफलता जनता की जागरूकता पर ही निर्भर करती है।
एक बहुत बड़े संविधान विशेषज्ञ के अनुसार किसी मंत्री का सबसे प्राथमिक, सबसे पहला जो गुण होना चाहिए वह यह कि वह ईमानदार हो और उसे भ्रष्ट नहीं बनाया जा सके। इतना ही जरूरी नहीं, बल्कि लोग देखें और समझें भी कि यह आदमी ईमानदार है। उन्हें उसकी ईमानदारी में विश्वास भी होना चाहिए। इसलिए कुल मिलाकर हमारे लोकतंत्र की समस्या मूलतः नैतिक समस्या है। संविधान, शासन प्रणाली, दल, निर्वाचन ये सब लोकतंत्र के अनिवार्य अंग हैं। पर जब तक लोगों में नैतिकता की भावना न रहेगी, लोगों का आचार-विचार ठीक न रहेगा तब तक अच्छे से अच्छे संविधान और उत्तम राजनीतिक प्रणाली के बावज़ूद लोकतंत्र ठीक से काम नहीं कर सकता। स्पष्ट है कि लोकतंत्र की भावना को जगाने व संवर्द्धित करने के लिए आधार प्रस्तुत करने की ज़िम्मेदारी राजनीतिक नहीं बल्कि सामाजिक है।
आज़ादी और लोकतंत्र के साथ जुड़े सपनों को साकार करना है, तो सबसे पहले जनता को स्वयं जाग्रत होना होगा। जब तक स्वयं जनता का नेतृत्व पैदा नहीं होता, तब तक कोई भी लोकतंत्र सफलतापूर्वक नहीं चल सकता। सारी दुनिया में एक भी देश का उदाहरण ऐसा नहीं मिलेगा जिसका उत्थान केवल राज्य की शक्ति द्वारा हुआ हो। कोई भी राज्य बिना लोगों की शक्ति के आगे नहीं बढ़ सकता।
(क) लगभग 70 वर्ष की आजादी के बाद नागरिकों से लेखक की अपेक्षाएँ हैं कि वेः(i) समझदार हों
(ii) प्रश्न करने वाले हों
(iii) जगी हुई युवा पीढ़ी के हों
(iv) मजबूत सरकार चाहने वाले हों
(ख) हमारे लोकतांत्रिक देश में अभाव हैः(i) सौहार्द का
(ii) सद्भावना का
(iii) जिम्मेदार नागरिकों का
(iv) एकमत पार्टी का
(ग) किसी मंत्री की विशेषता होनी चाहिएः(i) देश की बागडोर सँभालनेवाला
(ii) मिलनसार और समझदार
(iii) सुशिक्षित और धनवान
(iv) ईमानदार और विश्वसनीय
(घ) किसी भी लोकतंत्र की सफलता निर्भर करती हैः(i) लोगों में स्वयं ही नेतृत्व भावना हो
(ii) सत्ता पर पूरा विश्वास हो
(iii) देश और देशवासियों से प्यार हो
(iv) समाज-सुधारकों पर भरोसा हो
(ङ) लोकतंत्र की भावना को जगाना-बढ़ाना दायित्व हैः(i) राजनीतिकVIEW SOLUTION
(ii) प्रशासनिक
(iii) सामाजिक
(iv) संवैधानिक
- Question 2
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 5 = 5)गीता के इस उपदेश की लोग प्रायः चर्चा करते हैं कि कर्म करें, फल की इच्छा न करें। यह कहना तो सरल है पर पालन उतना सरल नहीं। कर्म के मार्ग पर आनन्दपूर्वक चलता हुआ उत्साही मनुष्य यदि अन्तिम फल तक न भी पहुँचे तो भी उसकी दशा कर्म न करने वाले की उपेक्षा अधिकतर अवस्थाओं में अच्छी रहेगी, क्योंकि एक तो कर्म करते हुए उसका जो जीवन बीता वह संतोष या आनन्द में बीता, उसके उपरांत फल की अप्राप्ति पर भी उसे यह पछतावा न रहा कि मैंने प्रयत्न नहीं किया। फल पहले से कोई बना-बनाया पदार्थ नहीं होता। अनुकूल प्रयत्न-कर्म के अनुसार, उसके एक-एक अंग की योजना होती है। किसी मनुष्य के घर का कोई प्राणी बीमार है। वह वैद्यों के यहाँ से जब तक औषधि ला-लाकर रोगी को देता जाता है तब तक उसके चित्त में जो संतोष रहता है, प्रत्येक नए उपचार के साथ जो आनन्द का उन्मेष होता रहता है- यह उसे कदापि न प्राप्त होता, यदि व रोता हुआ बैठा रहता। प्रयत्न की अवस्था में उसके जीवन का जितना अंश संतोष, आशा और उत्साह में बीता, अप्रयत्न की दशा में उतना ही अंश केवल शोक और दुख में कटता। इसके अतिरिक्त रोगी के न अच्छे होने की दशा में भी वह आत्म-ग्लानि के उस कठोर दुख से बचा रहेगा जो उसे जीवन भर यह सोच-सोच कर होता कि मैंने पूरा प्रयत्न नहीं किया।कर्म में आनन्द अनुभव करने वालों का नाम ही कर्मण्य है। धर्म और उदारता के उच्च कर्मों के विधान में ही एक ऐसा दिव्य आनन्द भरा रहता है कि कर्ता को वे कर्म ही फल-स्वरूप लगते हैं। अत्याचार का दमन और शमन करते हुए कर्म करने से चित्त में जो तुष्टि होती है वही लोकोपकारी कर्मवीर का सच्चा सुख है।
(क) कर्म करने वाले को फल न मिलने पर भी पछतावा नहीं होता क्योंकिः(i) अंतिम फल पहुँच से दूर होता है
(ii) प्रयत्न न करने का भी पश्चाताप नहीं होता
(iii) वह आनन्दपूर्वक काम करता रहता है
(iv) उसका जीवन संतुष्ट रूप से बीतता है
(ख) घर के बीमार सदस्य का उदाहरण क्यों दिया गया है?(i) पारिवारिक कष्ट बताने के लिए
(ii) नया उपचार बताने के लिए
(iii) शोक और दुख की अवस्था के लिए
(iv) सेवा के संतोष के लिए
(ग) ‘कर्मण्य’ किसे कहा गया है?(i) जो काम करता है
(ii) जो दूसरों से काम करवाता है
(iii) जो काम करने में आनन्द पाता है
(iv) जो उच्च और पवित्र कर्म करता है
(घ) कर्मवीर का सुख किसे माना गया हैः(i) अत्याचार का दमन
(ii) कर्म करते रहना
(iii) कर्म करने से प्राप्त संतोष
(iv) फल के प्रति तिरस्कार भावना
(ङ) गीता के किस उपदेश की ओर संकेत हैः(i) कर्म करें तो फल मिलेगाVIEW SOLUTION
(ii) कर्म की बात करना सरल है
(iii) कर्म करने से संतोष होता है
(iv) कर्म करें फल की चिंता नहीं
- Question 3
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए – (1 × 5 = 5)
सूख रहा है समय
इसके हिस्से की रेत
उड़ रही है आसमान में
सूख रहा है
आँगन में रखा पानी का गिलास
पँखुरी की साँस सूख रही है
जो सुंदर चोंच मीठे गीत सुनाती थी
उससे अब हाँफने की आवाज आती है
हर पौधा सूख रहा है
हर नदी इतिहास हो रही है
हर तालाब का सिमट रहा है कोना
यही एक मनुष्य का कंठ सूख रहा है
वह जेब से निकालता है पैसे और
खरीद रहा है बोतल बंद पानी
बाकी जीव क्या करेंगे अब
न उनके पास जेब है न बोतल बंद पानी |
(क) 'सूख रहा है समय ' कथन का आशय हैं :(i) गर्मी बढ़ रही है
(ii) जीवनमूल्य समाप्त हो रहे हैं
(iii) फूल मुरझाने लगे हैं
(iv) नदियाँ सूखने लगी हैं
(ख) हर नदी के इतिहास होने का तात्पर्य है -(i) नदियों के नाम इतिहास में लिखे जा रहे हैं
(ii) नदियों का अस्तित्व समाप्त होता जा रहा है
(iii) नदियों का इतिहास रोचक है
(iv) लोगों को नदियों की जानकारी नहीं है
(ग) ''पँखुरी की साँस सूख रही हैजो सुंदर चोंच मीठे गीत सुनाती थी ''ऐसी परिस्थिति किस कारण उत्पन्न हुई ?(i) मौसम बदल रहे हैं(घ) कवि के दर्द का कारण है :
(ii) अब पक्षी के पास सुंदर चोंच नहीं रही
(iii) पतझड़ के कारण पत्तियाँ सूख रही थीं
(iv) अब प्रकृति की ओर कोई ध्यान नहीं देता
(i) पँखुरी की साँस सूख रही है
(ii) पक्षी हाँफ रहा है
(iii) मानव का कंठ सूख रहा है
(iv) प्रकृति पर संकट मँडरा रहा है
(ङ) 'बाकी जीव क्या करेंगे अब ' कथन में व्यंग्य है :(i) जीव मनुष्य की सहायता नहीं कर सकतेVIEW SOLUTION
(ii) जीवों के पास अपने बचाव के कृतिम उपाय नहीं हैं
(iii) जीव निराश और हताश बैठे हैं
(iv) जीवों के बचने की कोई उम्मीद नहीं रही
- Question 4
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 5 = 5)
नदी में नदी का अपना कुछ भी नहीं
जो कुछ है
सब पानी का है।
जैसे पोथियों में उनका अपना
कुछ नहीं होता
कुछ अक्षरों का होता है
कुछ ध्वनियों और शब्दों का
कुछ पेड़ों का कुछ धागों का
कुछ कवियों का
जैसे चूल्हे में चूल्हे का अपना
कुछ भी नहीं होता
न जलावन, न आँच, न राख
जैसे दीये में दीये का
न रुई, न उसकी बाती
न तेल न आग न दियली
वैसे ही नदी में नदी का
अपना कुछ नहीं होता।
नदी न कहीं आती है न जाती है
वह तो पृथ्वी के साथ
सतत पानी-पानी गाती है।
नदी और कुछ नहीं
पानी की कहानी है
जो बूँदों से सुन कर बादलों को सुनानी है।
(क) कवि ने ऐसा क्यों कहा कि नदी का अपना कुछ भी नहीं सब पानी का है।(i) नदी का अस्तित्व ही पानी से है
(ii) पानी का महत्व नदी से ज्यादा है
(iii) ये नदी का बड़प्पन है
(iv) नदी की सोच व्यापक है
(ख) पुस्तक-निर्माण के संदर्भ में कौन-सा कथन सही नहीं है–(i) ध्वनियों और शब्दों का महत्व है
(ii) पेड़ों और धागों का योगदान होता है
(iii) कवियों की कलम उसे नाम देती है
(iv) पुस्तकालय उसे सुरक्षा प्रदान करता है
(ग) कवि, पोथी, चूल्हे आदि उदाहरण क्यों दिए गए हैं?(i) इन सभी के बहुत से मददगार हैं
(ii) हमारा अपना कुछ नहीं
(iii) उन्होंने उदारता से अपनी बात कही है
(iv) नदी की कमजोरी को दर्शाया है
(घ) नदी कि स्थिरता की बात कौन-सी पंक्ति में कही गई है?(i) नदी में नदी का अपना कुछ भी नहीं
(ii) वह तो पृथ्वी के साथ सतत पानी-पानी गाती है
(iii) नदी न कहीं आती है न जाती है
(iv) जो कुछ है सब पानी का है
(ङ) बूँदें बादलों से क्या कहना चाहती होंगी?(i) सूखी नदी और प्यासी धरती की पुकारVIEW SOLUTION
(ii) भूखे-प्यासे बच्चों की कहानी
(iii) पानी की कहानी
(iv) नदी की खुशियों की कहानी
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