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बहुत समय पहले सुंदरवन में एक बरगद का पेड़ था। उस पेड़ पर तीन पक्षी रहा करते थे। उनमें एक था तोता, कबूतर और नीलकंठ। अलग-अलग जाति के पक्षी होने के बाद भी उनकी बड़ी गहरी मित्रता थी। तीनों, दिन प्रारंभ होते ही विभिन्न दिशाओं में भोजन की तलाश में उड़ जाते और शाम होते ही लौट आते थे।
एक बार की बात बारिश न होने के कारण उनके जंगल में सूखा पड़ गया था। सारे हरे-भरे पेड़ सूख गए। दूर-दूर तक पानी का नाम भी नहीं था। तीनों सूखे की इस भयानक स्थिति से निपटने के लिए सोचने लगे।
तोता बोला– "मित्रों! अब हमें यहाँ से किसी और स्थान के लिए चल पड़ना चाहिए। जहाँ हमें आश्रय, पानी और अधिक मात्रा में भोजन मिल सके।" कबूतर ने उसकी बात से अपनी सहमती दिखाई। नीलकंठ बोला– "हम इस तरह कब तक भटकते रहेंगे। यह हमारा पुराना स्थान है। अत: इसे छोड़ना मेरे लिए संभव नहीं है। यदि तुम दोनों चाहो तो जा सकते हो। परंतु मैं यहाँ से कहीं नहीं जाऊँगा।" उसकी इस प्रकार की बात सुनकर कबूतर और तोता बड़े दुखी हुए।
तोता बोला– "मित्र! तुमने इस प्रकार के शब्द क्यों कहे? तुम हमारे मित्र हो। हम तुम्हें इस बुरे समय में कैसे अकेला छोड़ सकते हैं। अत: हम भी तुम्हारे साथ यहीं रहेंगे। परंतु हमें इस समस्या से छुटकारा तो पाना है।" नीलकंठ बोला– "मित्र! तुम सही कहते हो। हम सब मिलकर क्यों न जंगल के राजा के पास चलें।"
इस प्रकार वे तीनों जंगल के राजा के पास गए और बोले– "महाराज! आप इस सूखे से निपटने के लिए कुछ क्यों नहीं करते? "शेर बोला– "देखो मित्रों! मैं कुछ नहीं कर सकता इस समस्या का समाधान तो तुम्हें पेड़ों के राजा ही दे सकते हैं। तुम उनके पास क्यों नहीं जाते?"
वह तीनों पेड़ों के राजा के पास गए और बोले– "हे वृक्षराज! तुम इस सूखे का कोई तो हल निकालो।" पेड़ बोला– "मैं और मेरे अन्य साथी इस सूखे से स्वयं दुखी हैं। तुम तीनों नदी के पास जाओ वही इस समस्या का हल तुम्हें बता सकती है।"
वह तीनों नदी के पास जा पहुँचे और बोले– "हे नदी! तुम ही इस समस्या का कोई हल निकालो। हमारा जंगल सूखे से परेशान है।" नदी बोली– "पानी की कमी के कारण ही मैं सूखी पड़ी हूँ। अत: मैं कुछ नहीं कर सकती। तुम मेघों के राजा के पास जाओ वही कुछ कर सकते हैं।" नदी की बात सुनकर वह तीनों मेघों के राजा के पास जा पहुँचे।
उनको आता देखकर मेघों के राजा ने पूछा- "आप तीनों क्यों आए हैं?" तोता बोला- "राजन! बारिश न होने के कारण हमारे जंगल में सूखा पड़ गया है जिससे पेड़ व सभी पशु-पक्षी परेशान है। अत: इस सूखे से आप ही हमें निकाल सकते हैं।" उनकी करुण पुकार सुनकर मेघों के राजा अपनी समस्त सेना को साथ लेकर उस जंगल पर बरसे जिससे नदी जल से भर गई। जल पाकर सूखे पेड़ों में फिर से जान आ गई। जंगल को हराभरा देखकर सभी जानवर व पक्षी लौट आए। अब वह तीनों मित्र प्रसन्नतापूर्वक उस जंगल में रहने लगे। अत: कहा गया है कि मुसीबत में ही मित्रता की पहचान होती है।
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