वह चिड़िया जो
वह चिड़िया जो
काव्यांश 1
वह चिड़िया जो-
चोंच मार कर
दूध-भरे जुंडी के दाने
रुचि से, रस से खा लेती है
वह छोटी संतोषी चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूँ
मुझे अन्न से बहुत प्यार है।
प्रसंग 1
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तिका वसंत भाग-1 में संकलित 'वह चिड़िया जो' कविता से ली गई हैं। इसके रचनाकार 'केदारनाथ अग्रवाल' हैं। इन पंक्तियों में वे चिड़िया के माध्यम से स्वयं के स्वभाव की विशेषताओं का वर्णन करते हैं।
व्याख्या 1
कवि के अनुसार उसके भीतर एक छोटी नीले रंग की चिड़िया रहती है। वह चिड़िया गेहूँ व जौ की बालियों को जिनका स्वाद दूध के समान है, बड़ी रूचि से खाती है। चिड़िया बहुत ही संतोषी स्व…
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