NCERT Solutions for Class 11 Humanities Hindi Chapter 15 महादेवी वर्मा are provided here with simple step-by-step explanations. These solutions for महादेवी वर्मा are extremely popular among Class 11 Humanities students for Hindi महादेवी वर्मा Solutions come handy for quickly completing your homework and preparing for exams. All questions and answers from the NCERT Book of Class 11 Humanities Hindi Chapter 15 are provided here for you for free. You will also love the ad-free experience on Meritnation’s NCERT Solutions. All NCERT Solutions for class Class 11 Humanities Hindi are prepared by experts and are 100% accurate.
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Question 1:
'जाग तुझको दूर जाना' कविता में कवियत्री मानव को किन विपरीत स्थितियों में आगे बढ़ने के लिए उत्साहित कर रही है?
Answer:
(क) वे कह रही हैं कि हिमालय के हृदय में कंपन हो रहा है। इससे भूकंप की स्थिति बन सकती है लेकिन तुझे बढ़ना है। इस कंपन से तुझे डरना नहीं है।
(ख) प्रलय की स्थिति बन गई है। ऐसी स्थिति में मनुष्य घबरा जाता है, तुझे निरंतर बढ़ना है।
(ग) चारों तरफ घना अंधेरा छाया हुआ है। तुझे इस स्थिति में कुछ दिखाई न दे फिर भी तुझे बढ़ना है।
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Question 2:
'मोम के बंधन' और 'तितलियों के पर' का प्रयोग कवयित्री ने किस संदर्भ में किया है और क्यों?
Answer:
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Question 3:
कवयित्री किस मोहपूर्ण बंधन से मुक्त होकर मानव को जागृति का संदेश दे रही है?
Answer:
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Question 4:
कविता में 'अमरता-सुत' का संबोधन किसके लिए और क्यों आया है?
Answer:
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Question 5:
Answer:
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Question 6:
निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
(क) विश्व का क्रंदन ................... अपने लिए कारा बनाना!
(ख) कह न ठंडी साँस ..................... सजेगा आज पानी।
(ग) है तुझे अंगार-शय्या .................... कलियाँ बिछाना!
Answer:
(ख) जो जीवन में पीड़ा, वेदना व करुणा को ही सबकुछ मानते हैं कवयित्री ऐसे लोगों को झकझोरते हुए कहती है कि अब इन बातों को जलती हुई कहानी के समान छोड़ दे। इसमें कवयित्री लोगों को अपनी असफलताओं को भूल जाने के लिए कहती है। वे मनुष्य को अपने हृदय में आग भरने के लिए प्रेरित करती है। उस में आग लक्षणा शक्ति का द्योतक है। श्लेष अलंकार 'पानी' शब्द में दिखाई देता है।
(ग) कवयित्री क्रांतिकारी को अपनी कोमल भावनाओं का बलिदान देने के लिए कहती है। 'अंगार शय्या' में रूपक अलंकार का प्रयोग है। 'अंगार शय्या पर मधुर कलियाँ बिछाना' में विरोध का आभास होता है। अतः यहाँ विरोधाभास अलंकार है।
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Question 7:
कवयित्री ने स्वाधीनता के मार्ग में आनेवाली कठिनाइयों को इंगित कर मनुष्य के भीतर किन गुणों का विस्तार करना चाहा है? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
Answer:
(क) वह मनुष्य को दृढ़-निश्चय होकर चलने के लिए प्रेरित करती है। इस तरह मनुष्य दृढ़ निश्चयी बनता है।
(ख) वह उसमें आलस्य हटाकर परिश्रम हटाने के लिए प्रेरित करती है। अतः वह उसमें परिश्रम के गुण का विकास करती है।
(ग) वह उसे विषम परिस्थितियों में निडर होकर बढ़ने के लिए कहती है। इस तरह वह उसमें निडरता के गुण का समावेश करती है।
(घ) वह उसे मोह त्यागने के लिए कहती है। इस तरह वह उसमें भावुकता के स्थान पर देशप्रेम का बीज बोती है।
(ङ) वह उसे जागरूता के गुण का समावेश करती है। उसके अनुसार इस लड़ाई में उसे जागरूक होकर चलना पड़ेगा।
(च) वह उसके हृदय से मृत्यु का भय निकालकर जीवन का सही उद्देश्य बताना चाहती है। इस तरह वह उसके अंदर लक्ष्य को पहचानकर उसे पूरा करने के गुण का विस्तार करती है।
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Question 8:
महादेवी वर्मा ने 'आँसू' के लिए 'उजले' विशेषण का प्रयोग किस संदर्भ में किया है और क्यों?
Answer:
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Question 9:
सपनों को सत्य रूप में ढालने के लिए कवयित्री ने किस यथार्थपूर्ण स्थितियों का सामना करने को कहा है?
Answer:
सपनों को सत्य करने के लिए कवयित्री ने इन यथार्थपूर्ण स्थितियों का सामना करने के लिए कहा है-
(क) दीपक के समान जलने को कहा है।
(ख) फूल के समान खिलने को कहा है।
(ग) कठोर स्वभाव के अंदर भी करुणा की भावना को रखना।
(घ) जीवन में सत्य की झलक को दिखाकर।
(ङ) हर व्यक्ति के अंदर व्याप्त सच्चाई को जानकर।
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Question 10:
'नीलम मरकत के संपुट दो, जिनमें बनता जीवन-मोती' पंक्ति में 'नीलम मरकत' और 'जीवन-मोती' के अर्थ को कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
Answer:
'नीलम मरकत' को कविता के संदर्भ में जन्म और मरण के रूप में लिया गया है।
'जीवन-मोती' को जीवन के रूप में बताया गया है। जो जन्म और मरण के मध्य बनता है।
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Question 11:
प्रकृति किस प्रकार मनुष्य को उसके लक्ष्य तक पहुँचाने में सहायक सिद्ध होती है? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
Answer:
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Question 12:
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) आलोक लुटाता वह ......... कब फूल जला?
(ख) नभ तारक-सा ............. हीरक पिघला?
Answer:
(ख) एक व्यक्ति आकाश के तारों के जैसा है। जो टूटे-फूटे होते हुए भी प्रसन्नता से सुरधरा को चूमता है। दूसरा अंगारों के समान मधु रस का पान करते हुए केशर रूपी किरणों के जैसे झूम रहा है। ये दोनों अपने तरीके से जीवन के ढंग को अपना रहे हैं। बहुमूल्य बनी रहने की इच्छा में स्वर्ण को कभी टूटते देखा है या हीरे को कभी पिघलते पाया है। दोनों स्वयं के अस्तित्व के लिए जी रहे हैं। भाव यह है कि मनुष्य को अपना मूल्य समझाने के लिए गलत मार्ग में चलने की आवश्यकता नहीं है। वह निरंतर परिश्रम और प्रयास से अपने को संसार में आदर्श के रूप में स्थापित कर सकता है।
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Question 13:
काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
संसृति के प्रति पग में मेरी ............. एकाकी प्राण चला!
Answer:
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Question 14:
'सपने-सपने में सत्य ढला' पंक्ति के आधार पर कविता की मूल संवेदना को स्पष्ट कीजिए।
Answer:
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Question 1:
स्वाधीनता आंदोलन के कुछ जागरण गीतों का एक संकलन तैयार कीजिए।
Answer:
विद्यार्थी इस विषय पर स्वयं कार्य कीजिए।
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Question 2:
Answer:
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