NCERT Solutions for Class 11 Humanities Hindi Chapter 9 भारतेंदु हरिश्चंद्र are provided here with simple step-by-step explanations. These solutions for भारतेंदु हरिश्चंद्र are extremely popular among Class 11 Humanities students for Hindi भारतेंदु हरिश्चंद्र Solutions come handy for quickly completing your homework and preparing for exams. All questions and answers from the NCERT Book of Class 11 Humanities Hindi Chapter 9 are provided here for you for free. You will also love the ad-free experience on Meritnation’s NCERT Solutions. All NCERT Solutions for class Class 11 Humanities Hindi are prepared by experts and are 100% accurate.
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Question 1:
पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि 'इस अभागे आलसी देश में जो कुछ हो जाए वहीं बहुत कुछ है क्यों कहा गया है?
Answer:
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Question 2:
'जहाँ रॉबर्ट साहब बहादुर जैसे कलेक्टर हों, वहाँ क्यों न ऐसा समाज हो' वाक्य में लेखक ने किस प्रकार के समाज की कल्पना की है?
Answer:
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Question 3:
जिस प्रकार ट्रेन बिना इंजिन के नहीं चल सकती ठीक उसी प्रकार 'हिंदुस्तानी लोगों को कोई चलानेवाला हो' से लेखक ने अपने देश की खराबियों के मूल कारण खोजने के लिए क्यों कहा है?
Answer:
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Question 4:
देश की सब प्रकार की उन्नति हो, इसके लिए लेखक ने जो उपाय बताए उनमें से किन्हीं चार का उदाहरण सहित उल्लेख कीजिए।
Answer:
(क) लेखक कहता है कि आलस्य हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है। उसी ने हमें निकम्मा बनाया हुआ है। अतः हमें इस आलस्य को त्यागना होगा और अपने समय का सही सदुपयोग करना होगा। इस तरह हम समय का सही उपयोग करके उन्नति के मार्ग में चल सकते हैं।
(ख) हमें अपने स्वार्थों तथा हितों का त्याग करना होगा। लेखक के अनुसार हमें अपने देश, जाति, समाज इत्यादि के लिए अपने स्वार्थों तथा हितों का त्याग करना होगा।
(ग) शिक्षा के महत्व को समझना होगा। हमें शिक्षा के महत्व को समझकर उसे भारत के घर-घर पहुँचाना होगा। इस तरह शिक्षित भारत की उन्नति निश्चित है।
(घ) हमें भारत से बाहर जाकर भी अन्य स्थानों को समझना होगा। इस तरह हम कुएँ का मेंढक नहीं रहेंगे और हमारी तरक्की अवश्य होगी।
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Question 5:
लेखक जनता के मत-मतांतर छोड़कर आपसी प्रेम बढ़ाने का आग्रह क्यों करता है?
Answer:
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Question 6:
आज देश की आर्थिक स्थिति के संदर्भ में निम्नलिखित वाक्य को एक अनुच्छेद में स्पष्ट कीजिए-
'जैसे हज़ार धारा होकर गंगा समुद्र में मिली हैं, वैसी ही तुम्हारी लक्ष्मी हज़ार तरह से इंग्लैड, फरांसीस, जर्मनी, अमेरिका को जाती हैं।'
Answer:
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Question 7:
(क) पाठ के आधार पर निम्नलिखित का कारण स्पष्ट कीजिए-
• एकादशी का व्रत
• गंगा जी का पानी पहले सिर पर चढ़ाना
• दीवाली मनाना
• होली मनाना
(ख) उक्त संदर्भ में क्यों कहा गया है कि 'यही तिहवार ही तुम्हारी मानो म्युनिसिपालिटी हैं'?
Answer:
• गंगा जी में जाने से पहले पानी सिर पर डालने से पैर के तलुए में व्याप्त गर्मी सिर पर प्रभाव नहीं छोड़ती है।
• दीवाली के त्योहार में घर की सफाई हो जाती है।
• वसंत की हवा जो मनुष्य को नुकसान पहुँचा सकती है। जगह-जगह पर आग जलाने से ठीक हो जाती है।
(ख) जिस प्रकार म्युनिसिपालिटी शहर की साफ़-सफ़ाई इत्यादि का ध्यान रखती हैं, ऐसे ही त्योहार भी म्युनिसिपालिटी की तरह हमारे घर तथा शरीर की साफ़-सफ़ाई का ध्यान रखते हैं। इन आने से घर की सफ़ाई होती है और गंदगी बाहर निकाल दी जाती है। किसी न किसी रूप में यह हमारा ध्यान रखते हैं।
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Question 8:
आपके विचार से देश की उन्नति किस प्रकार संभव है? कोई चार उदाहरण तर्क सहित दीजिए।
Answer:
(क) हमें आलस्य नहीं करना चाहिए। हमेशा कार्य करते रहना चाहिए। इस तरह हम समय के मूल्य को पहचानकर उसका सही सदुपयोग कर पाएँगे।
(ख) हमें अपने साथ-साथ देशों के विकास और उन्नति के लिए भी कार्य करना चाहिए। वैसे ही सर्व विदित है कि हम विकास और उन्नति की तरफ अग्रसर होते हैं, तो देश की उन्नति और विकास भी होता चला जाता है। देश से हम जुड़े हुए हैं। अतः हम उन्नति करते हैं, तो देश भी करेगा।
(ग) देश में शिक्षा का प्रसार करना आवश्यक है। जहाँ शिक्षा है, वहाँ विकास के मार्ग खुल जाते हैं। अतः प्रयास करना चाहिए कि देश में कोई अशिक्षित न रहें।
(घ) हमें जनसंख्या पर नियंत्रण रखना होगा। हमारे देश के साधन आबादी के कारण जल्दी समाप्त हो जाएँगे और हमें दूसरे देशों में निर्भर होना पड़ेगा। अतः हमें जनसंख्या को बढ़ने से रोकना होगा।
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Question 9:
Answer:
(क) भाषण संबोधन शैली पर आधारित होते हैं। इसे आरंभ ही संबोधन से किया जाता है।
(ख) भाषण के समय ऐसे उदाहरण जनता के सम्मुख रखे जाते हैं, जो उन्हें विषय से जोड़े रखें और बात को प्रभावी बनाएँ।
(ग) श्रोताओं को किसी विषय पर अवगत कराने के लिए यह सबसे उत्तम साधन है। इसके माध्यम से श्रोताओं का विश्वास हासिल किया जाता है। यह श्रोता से संबंध स्थापित करने का सबसे प्रभावी तरीका है।
(घ) ऐसे प्रसंगों का उल्लेख करना आवश्यक है, जो श्रोता के लिए नई और ज्ञानवर्धक हो।
भारतेन्दु जी का यह भाषण सुविख्यात है। इसके माध्यम से इन्होंने बलिया के लोगों को संबंधित किया। इसमें उन्होंने भारत के लोगों की कमियाँ बताई, ब्रिटिश शासन पर व्यंग्य किया तथा उनके कार्यों के लिए उनकी सराहना भी की है। इसमें उन्होंने कई विषयों पर बात की। लोगों को चेताने और सजग करने के उद्देश्य यह भाषण दिया। इस भाषण में हर उस विषय को रखा गया, जो भारत को किसी न किसी रूप से कमज़ोर बना रहा था।
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Question 10:
'अपने देश में अपनी भाषा में उन्नति करो' से लेखक का क्या तात्पर्य है? वर्तमान संदर्भों में इसकी प्रासंगिता पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
Answer:
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Question 11:
निम्नलिखित शब्दों को आज की हिंदी में लिखिए जैसे-
मिहनत, छिन-प्रतिछिन, तिहवार।
इसी प्रकार पाठ में से अन्य दस शब्द छाँटकर लिखिए।
Answer:
मिहनत- मेहनत
छिन-प्रतिछिन- क्षण-प्रतिक्षण
तिहवार- त्योहार
पहिचानकर- पहचानकर
मूछैं- मूँछे
फरांसीस- फ्रांसीस
बढ़ै- बढ़े
दीआसलाई- दियासलाई
किताबैं- किताबें
सम्हाला- संभाला
चीज़ैं- चीज़ें
रक्खो- रखो
सुधरैगा- सुधरेगा
छोड़ौं- छोड़ें
कहैं- कहें
करै-करे
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Question 12:
(क) राजे-महाराजों को अपनी पूजा, भोजन, झूठ गप से छुट्टी नहीं।
(ख) सबके जी में यही है कि पाला हमीं पहले छू लें।
(ग) हमको पेट के धंधे के मारे छुट्टी ही नहीं रहती बाबा, हम क्या उन्नति करैं?
(घ) यह तो वही मसल हुई कि एक बेफ़िकरे मँगनी का कपड़ा पहिनकर किसी महफिल में गए।
Answer:
(ख) अर्थात सब यही चाहते हैं कि हमें ही सबकुछ पहले मिले।
(ग) भारतीयों को बस रोजी-रोटी से लेना-देना है। जो मिलता है, उसे में ही वे खुश हो जाते हैं। यही कारण है कि भारतीयों की उन्नति नहीं होती है। जीवन में मात्र पेट भरना ही लक्ष्य नहीं होना चाहिए। हमें कुछ करके दिखाना भी चाहिए।
(घ) यह लेखक ने ऐसे लोगों पर व्यंग्य कसा है कि जो दूसरों के साधनों पर आराम करते हैं। वे स्वयं प्रयास नहीं करते। माँगकर पहनते हैं और उसी में जीवन का रस समझते हैं।
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Question 13:
निम्नलिखित गद्यांशों की व्याख्या कीजिए-
(क) सास के अनुमोदन से ................. फिर परदेस चला जाएगा।
(ख) दरिद्र कुटुंबी इस तरह ............... वही दशा हिंदुस्तान की है।
(ग) वास्तविक धर्म तो .................... शोधे और बदले जा सकते हैं।
Answer:
(ख) इसका आशय है कि एक गरीब परिवार समाज में अपनी इज्जत बचाने में असमर्थ हो जाता है। लेखक एक उदाहरण के माध्यम से अपनी बात स्पष्ट करते हैं। वे कहते हैं कि गरीब तथा कुलीन वधू अपने फटे हुए वस्त्रों में अपने अंगों को छिपाकर अपनी इज्जत बचाने का हर संभव प्रयास करती है। भाव यह है कि उसके पास साधन बहुत ही सीमित हैं और वह उसमें ही कोशिश करती है। ऐसे ही भारतावासियों के हाल है। चारों ओर गरीबी विद्यमान है। सभी गरीबी से त्रस्त हैं। इसके कारण लोग अपनी इज्जत बचा पाने में असमर्थ हो रहे हैं। यह गद्यांश भारत की गरीबी का मार्मिक चित्रण प्रस्तुत करता है।
(ग) यह गद्यांश उस स्वरूप को दर्शाता है, जो भारत में विद्यमान धर्मों का है। धर्म मनुष्य को भगवान के चरण कमलों की भक्ति करने के लिए कहता है। हमें इसे समझना होगा। जो अन्य बातें धर्म के साथ जोड़ी गई हैं, वे समाज-धर्म कहलाती हैं। समय और देश के अनुसार इनमें परिवर्तन किया जाना चाहिए। धर्म का मूल स्वरूप हमेशा एक सा रहता है। बस हमें उसके व्यावहारिक पक्ष को बदलने का प्रयास करना चाहिए।
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Question 1:
देश की उन्नति के लिए भारतेंदु ने जो आह्वान किया है उसे विस्तार से लिखिए।
Answer:
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Question 2:
(ग) अबकी चढ़ी कमान, को जाने फिर कब चढ़ै ..................
(घ) शौक तिफ़्ली से मुझे गुल की जो दीदार का था ................
Answer:
(क) अजगर करै न चाकरी, पंछी करे न काम।
दास मलूका कहि गए, सबके दाता राम।। (मलूकदास)
अर्थ- अजगर को किसी की नौकरी नहीं करनी पड़ती है और पक्षी भी कोई काम नहीं करता है। मलूकादास कहते हैं, जिसके दाता राम हैं, उसे कुछ करने की आवश्यकता नहीं है।
(ग) अबकी चढ़ी कमान, को जाने फिर कब चढ़ै।
जिनि चुक्के चौहान, इक्के मारय इक्क सर।। (चंद वरदाई)
अर्थ- राजा सुन ले इस बार कमान को चढ़ा ले क्योंकि फिर कोई नहीं जानता कि यह अवसर कब मिले। अतः इस अवसर को हाथ से मत गँवाना और इस एक सिर को एक ही बार में मार गिराओ।
(घ) शौक तिफ़्ली से मुझे गुल की जो दीदार का था।
न किया हमने गुलिस्तां का सबक याद कभी।। (शौक तिफ़्ली)
अर्थ- मुझे आशा थी कि कोई मुझे फूल देगा। इस कारण से हमने कभी गुलिस्तां (बगीचे) के बारे में जानने का प्रयास किया ही नहीं।
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Question 3:
भारतेंदु उर्दू में किस उपनाम से कविताएँ लिखते थे? उनकी कुछ उर्दू कविताएँ ढूँढ़कर लिखिए।
Answer:
उर्दू साहित्य में भारतेन्दु जी 'रसा' उपनाम से लिखा करते थे। उनकी एक गज़ल इस प्रकार है।-
फिर आई फ़स्ले गुल फिर जख़्मदह रह-रह के पकते हैं।
मेरे दागे जिगर पर सूरते लाला लहकते हैं।
नसीहत है अबस नासेह बयाँ नाहक ही बकते हैं।
जो बहके दुख्तेरज से हैं वह कब इनसे बहकते हैं?
कोई जाकर कहो ये आख़िरी पैगाम उस बुत से।
अरे आ जा अभी दम तन में बाक़ी है सिसकते हैं ।
न बोसा लेने देते हैं न लगते हैं गले मेरे।
अभी कम-उम्र हैं हर बात पर मुझ से झिझकते हैं।
व गैरों को अदा से कत्ल जब बेबाक करते हैं।
तो उसकी तेग़ को हम आह किस हैरत से तकते हैं।
उड़ा लाए हो यह तर्जे सखुन किस से बताओ तो।
दमे तक़दीर गोया बाग़ में बुलबुल चहकते हैं।
'रसा' की है तलाशे यार में यह दश्त-पैमाई।
कि मिस्ले शीशा मेरे पाँव के छाले झलकते हैं।
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Question 4:
पृथ्वी राज चौहान की कथा अपने शब्दों में लिखिए।
Answer:
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