शब्द विचार
शब्द
जिस तरह सब्जी पकाने के लिए घी/तेल, नमक, मिर्च, धनिया, हल्दी, टमाटर, पानी व खाद्य (खाने का) पदार्थ जैसे - आलू व कोई भी सब्जी की आवश्यकता होती है। उसी प्रकार विचार-विनिमय के लिए भाषा की आवश्यकता होती है, उस भाषा का निर्माण शब्दों से होता है। यदि शब्द न हो तो भाषा का कोई अस्तित्व नहीं होता है।
बोलते समय हमारे मुँह से ध्वनियाँ निकलती है। वह प्रत्येक ध्वनि एक वर्ण को इंगित करती है। इन सब ध्वनियों से मिलकर शब्द बनते हैं और इन्हीं वर्णों का समूह, शब्द कहलाता है। शब्द में प्रत्येक वर्ण का एक निश्चित स्थान होता है यदि निश्चित स्थान पर वर्णों को न रखा जाए तो उन्हें शब्दों का नाम नहीं दिया जा सकता। उसके लिए इसे उचित स्थान पर रखा जाना बहुत आवश्यक है; जैसे - नवप शब्द लिखा जाए तो इससे किसी सही शब्द का निर्माण नहीं होगा। परन्तु अब इसमें फेरबदल कर दिया जाए तो यह पवन शब्द बनाता है। इसी तरह से अन्य सभी शब्दों का निर्माण होता है। इसलिए हम कह सकते है एक या अधिक वर्णों से बनी हुई स्वतंत्र सार्थक ध्वनि, शब्द कहलाता है।
वर्णों का सार्थक समूह ही शब्द कहलाता है।
उदाहरण -
क् + अ + म् + अ + ल् + अ = कमल
|
कमल - फूल का नाम
जिस तरह सब्जी पकाने के लिए घी/तेल, नमक, मिर्च, धनिया, हल्दी, टमाटर, पानी व खाद्य (खाने का) पदार्थ जैसे - आलू व कोई भी सब्जी की आवश्यकता होती है। उसी प्रकार विचार-विनिमय के लिए भाषा की आवश्यकता होती है, उस भाषा का निर्माण शब्दों से होता है। यदि शब्द न हो तो भाषा का कोई अस्तित्व नहीं होता है।
बोलते समय हमारे मुँह से ध्वनियाँ निकलती है। वह प्रत्येक ध्वनि एक वर्ण को इंगित करती है। इन सब ध्वनियों से मिलकर शब्द बनते हैं और इन्हीं वर्णों का समूह, शब्द कहलाता है। शब्द में प्रत्येक वर्ण का एक निश्चित स्थान होता है यदि निश्चित स्थान पर वर्णों को न रखा जाए तो उन्हें शब्दों का नाम नहीं दिया जा सकता। उसके लिए इसे उचित स्थान पर रखा जाना बहुत आवश्यक है; जैसे - नवप शब्द लिखा जाए तो इससे किसी सही शब्द का निर्माण नहीं होगा। परन्तु अब इसमें फेरबदल कर दिया जाए तो यह पवन शब्द बनाता है। इसी तरह से अन्य सभी शब्दों का निर्माण होता है। इसलिए हम कह सकते है एक या अधिक वर्णों से बनी हुई स्वतंत्र सार्थक ध्वनि, शब्द कहलाता है।
वर्णों का सार्थक समूह ही शब्द कहलाता है।
उदाहरण -
क् + अ + म् + अ + ल् + अ = कमल
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कमल - फूल का नाम
वर्णों के द्वारा शब्दों का निर्माण होता है। हर शब्द का अपना एक अर्थ होता है। जब हम इन सभी शब्दों को आपस में जोड़कर लिखते हैं, तो इसे वाक्य कहा जाता है। इसमें हम व्याकरण सम्बन्धी सभी नियमों का ध्यान रखते हैं। अपने मनोभावों व विचारों को दूसरों को व्यक्त करने के लिए शब्दों को वाक्यों में एक सही जगह पर रखते हैं, जिससे हम सही तरह से अपने मत को व्यक्त कर सकें। यदि हम इन शब्दों को वाक्यों में सही स्थान पर नहीं रख पाते तो पूरा वाक्य एक गलत अर्थ को दर्शाएगा जो स्थिति को गंभीर या हास्यासपद बना सकता है; जैसे -
(1) इस नहा से साबुन लो।
इस साबुन से नहा लो।
(2) राम स्कूल देने परीक्षा गया है।
राम परीक्षा देने स्कूल गया है।
यहाँ शब्दों का स्थान बदल जाने पर कोई सार्थक अर्थ नहीं निकल पाया जिससे कोई लाभ नहीं होता और स्थिति गंभीर हो जाती है या हास्यापद बन जाती है। पर जब हम व्याकरण के नियमों का प्रयोग कर वाक्य निर्माण करते हैं तो वह पद कहलाते हैं।
वर्णों के द्वारा शब्दों का निर्माण होता है। हर शब्द का अपना एक अर्थ होता है। जब हम इन सभी शब्दों को आपस में जोड़कर लिखते हैं, तो इसे वाक्य कहा जाता है। इसमें हम व्याकरण सम्बन्धी सभी नियमों का ध्यान रखते हैं। अपने मनोभावों व विचारों को दूसरों को व्यक्त करने के लिए शब्दों को वाक्यों में एक सही जगह पर रखते हैं, जिससे हम सही तरह से अपने मत को व्यक्त कर सकें। यदि हम इन शब्दों को वाक्यों में सही स्थान पर नहीं रख पाते तो पूरा वाक्य एक गलत अर्थ को दर्शाएगा जो स्थिति को गंभीर या हास्यासपद बना सकता है; जैसे -
(1) इस नहा से साबुन लो।
इस साबुन से नहा लो।
(2) राम स्कूल देने परीक्षा गया है।
राम परीक्षा देने स्कूल गया है।
यहाँ शब्दों का स्थान बदल जाने पर कोई सार्थक अर्थ नहीं निकल पाया जिससे कोई लाभ नहीं होता और स्थिति गंभीर हो जाती है या हास्यापद बन जाती है। पर जब हम व्याकरण के नियमों का प्रयोग कर वाक्य निर्माण करते हैं तो वह पद कहलाते हैं।
शब्दों का वर्गीकरण
इस विश्व में हज़ारों भाषाएँ बोली जाती हैं। अकेले भारत में ही अनगिनत भाषाएँ हैं। हर भाषा के अंदर हज़ारों शब्द होते हैं। यहीं शब्द एक भाषा को समृद्ध बनाते हैं। इन शब्दों की उत्पत्ति कैसे हुई, इनका निर्माण कैसे हुआ, इन शब्दों के क्या-कया अर्थ है, इनमें कोई परिवर्तन संभव हो सकता है या नहीं इत्यादि। इन सभी आधार पर हम शब्दों का वर्गीकरण करते हैं जो इस प्रकार है -
(क) शब्दों की उत्पत्ति
(ख) रचना (व्युत्पत्ति) के आधार पर
(ग) प्रयोग के आधार पर
(घ) विकार के आधार पर शब्द भेद
(ङ) अर्थ के आधार पर शब्द भेद
(क) शब्दों की उत्पत्ति :-
हिंदी शब्द भंडार में अनेको बाहरी भाषाओं के शब्दों का समावेश है। ये शब्द कैसे आए? इसको जानने के लिए हमें इसकी उत्पत्ति को जानना आवश्यक है। इसकी उत्पत्ति को जानने के लिए चार स्रोत माने गए हैं, जो इस प्रकार हैं -
(1) तत्सम शब्द
(2) तद्भव शब्द
(3) देशज शब्द
(4) विदेशी शब्द
(1) तत्सम शब्द :- तत्सम का अर्थ है तत् (उस) + सम (समान) उस संस्कृत के समान। तत्सम शब्द, वे शब्द कहलाते हैं जो संस्कृत भाषा से लिए गए है व बिना किसा बदलाव के हिंदी भाषा में प्रयुक्त किए जा रहे हैं; जैसे - सूर्य, मस्तिष्क, अग्नि, नृत्य आदि।
(2) तद्भव शब्द :- तद्भव का अर्थ है 'तत्' (उससे) + 'भव' (पैदा हुए) अर्थात् उस संस्कृत से पैदा हुए शब्द। वे शब्द जो संस्कृत भाषा के शब्द से विकसित (पैदा हुए) हुए है, तद्भव शब्द कहलाते हैं; जैसे -
(1) कुकूर से कुत्ता
(2) कपोत से कबूतर
(3) सर्प से साँप
(4) अग्नि से आग
(5) क्षेत्र से खेत
अन्य तत्सम व तद्भव शब्द -
-
तत्सम
तद्भव
अंध
अंधा
अश्रु
आँसू
गृह
घर
नासिका
नाक
स्वर
सुर
भिक्षा
भीख
नग्न
नंगा
मुख
मुँह
दंत
दाँत
उच्च
ऊँचा
दुग्ध
दूध
वानर
बंदर
सत्य
सच
सप्त
सात
अग्नि
आग
प्रहर
पहर
अंधकार
अँधेरा
(3) देशज - देशज का अर्थ है - देश + ज अर्थात् देश में जन्म लेने वाले। जो शब्द क्षेत्रीय प्रभाव के कारण परिस्थिति व आवश्यकतानुसार बनकर प्रचलित हो गए हैं, वे देशज कहलाते हैं; जैसे - गाड़ी, थैला, पगड़ी, खटखटाना आदि।
(4) विदेशी या विदेशज - भारत के इतिहास में विदेशी देशों का बड़ा साथ रहा है। कभी व्यापार की दृष्टि से तो कभी शासन की दृष्टि से हम सदा विदेशियों के संपर्क में बने रहे, उनकी भाषा के बहुत से शब्द स्वत: ही हिंदी भाषा में सम्मिलित (मिल) हो गए व आज वे प्रयुक्त होने लगे हैं। ऐसे शब्द विदेशी या विदेशज शब्द कहलाए। हमारी भाषा में अंग्रेज़ी, उर्दू, फ्रांसीसी, फ़ारसी, अरबी, चीनी आदि भाषाओं के अनेक शब्द मिल गए हैं;
जैसे - चेन, कार, साइकिल, शाबाश, तमाशा, कंप्यूटर, टेलीफ़ोन, तारीख़, लायक, वकील, हवा, शादी, मिनिस्टर, सिनेमा, चाय, कूली, चाकू आदि।
शब्दों का वर्गीकरण
इस विश्व में हज़ारों भाषाएँ बोली जाती हैं। अकेले भारत में ही अनगिनत भाषाएँ हैं। हर भाषा के अंदर हज़ारों शब्द होते हैं। यहीं शब्द एक भाषा को समृद्ध बनाते हैं। इन शब्दों की उत्पत्ति कैसे हुई, इनका निर्माण कैसे हुआ, इन शब्दों के क्या-कया अर्थ है, इनमें कोई परिवर्तन संभव हो सकता है या नहीं इत्यादि। इन सभी आधार पर हम शब्दों का वर्गीकरण करते हैं जो इस प्रकार है -
(क) शब्दों की उत्पत्ति
(ख) रचना (व्युत्पत्ति) के आधार पर
(ग) प्रयोग के आधार पर
(घ) विकार के आधार पर शब्द भेद
(ङ) अर्थ के आधार पर शब्द भेद
(क) शब्दों की उत्पत्ति :-
हिंदी शब्द भंडार में अनेको बाहरी भाषाओं के शब्दों का समावेश है। ये शब्द कैसे आए? इसको जानने के लिए हमें इसकी उत्पत्ति को जानना आवश्यक है। इसकी उत्पत्ति को जानने के लिए चार स्रोत माने गए हैं, जो इस प्रकार हैं -
(1) तत्सम शब्द
(2) तद्भव शब्द
(3) देशज शब्द
(4) विदेशी शब्द
(1) तत्सम शब्द :- तत्सम का अर्थ है तत् (उस) + सम (समान) उस संस्कृत के समान। तत्सम शब्द, वे शब्द कहलाते हैं जो संस्कृत भाषा से लिए गए है व बिना किसा बदलाव के हिंदी भाषा में प्रयुक्त किए जा रहे हैं; जैसे - सूर्य, मस्तिष्क, अग्नि, नृत्य आदि।
(2) तद्भव शब्द :- तद्भव का अर्थ है 'तत्' (उससे) + 'भव' (पैदा हुए) अर्थात् उस संस्कृत से पैदा हुए शब्द। वे शब्द जो संस्कृत भाषा के शब्द से विकसित (पैदा हुए) हुए है, तद्भव शब्द कहलाते हैं; जैसे -
(1) कुकूर से कुत्ता
(2) कपोत से कबूतर
(3) सर्प से साँप
(4) अग्नि से आग
(5) क्षेत्र से खेत
अन्य तत्सम व तद्भव शब्द -
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तत्सम
तद्भव
अंध
अंधा
अश्रु
आँसू
गृह
घर
नासिका
नाक
स्वर
सुर
भिक्षा
भीख
नग्न
नंगा
मुख
मुँह
दंत
दाँत
उच्च
ऊँचा
दुग्ध
दूध
वानर
बंदर
सत्य
सच
सप्त
सात
अग्नि
आग
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