Have a query? Let us call you for FREE
X+91
E.g : 9884012345, 01123456789
Office hours: 9:00 am to 9:00 pm IST (7 days a week)
OOPS! We could not find any topic named
Select a subject to see full topic list
बहुत समय पहले की बात है, किसी जंगल में एक हाथियों का झुंड रहा करता था। इनका एक मुखिया था। मुखिया बहुत ही अहंकारी और क्रोधी स्वभाव का था। परन्तु वह अपने झुंड से बहुत प्रेम करता था। उनके लिए वह कुछ भी कर सकता था। यही कारण था कि सभी झुंडवासी उसका आदर किया करते थे। जंगल में सबसे विशालकाय होने के कारण वे स्वयं को शक्तिसंपन्न मानते थे और किसी को अपने सम्मुख कुछ नहीं समझते थे। इस कारण सभी उनसे परेशान रहा करते थे।
एक बार की बात है। कई महीनों तक वर्षा नहीं होने के कारण जंगल में अकाल की स्थिति आ गई। सारे जानवर जंगल छोड़कर जाने लगे। हाथियों का झुंड भी इससे परेशान हो उठा। विशालकाय प्राणी होने के कारण इन्हें अधिक भोजन-पानी की आवश्यकता थी। अंतत: इनके मुखिया ने जंगल छोड़ने का फैसला किया और अन्य स्थान की तलाश में निकल पड़े।
चलते-चलते वे एक स्थान पर पहुँचे। वह स्थान पेड़-पौधों से युक्त था, जिसमें विभिन्न प्रकार के फल लगे हुए थे। वहाँ पर एक तालाब भी विद्यमान था। हाथियों के लिए यह उपयुक्त स्थान था। उसी स्थान के समीप खरगोशों का एक झुंड भी रहा करता था। हाथियों का अब वहाँ आना नित्यक्रम बन गया। उनके पैरों तले रोज़ ही कई खरगोश कुचले जाते तथा बहुत से घायल हो जाते। खरगोशों का मुखिया अपने झुंड की दशा देखकर परेशान हो उठा। उसने हाथियों को समझाना चाहा परन्तु कुछ हाथ न लगा।
आखिर एक दिन उसने एक युक्ति सोची और हाथियों के झुंड की ओर चल पड़ा। वह ऊँची चट्टान पर खड़ा हो गया और हाथियों के मुखिया को संबोधित करके बोला, "हमने आपको बहुत समझाया परन्तु आपने हमारी बात नहीं सुनी। अब भगवान चंद्रमा का प्रकोप आपको सहना पड़ेगा। मैं उनके आदेश से यहाँ आया हूँ और तुम्हें चेतावनी दे रहा हूँ। समय रहते यहाँ से चले जाओ अन्यथा तुम्हें इसकी भयंकर सज़ा मिलेगी।" हाथियों का मुखिया क्रोधपूर्वक बोला "तुम झुठ बोल रहे हो। हमें यहाँ से भगाना चाहते हो। हम यहाँ से नहीं जाएगें।" खरगोश बोला "मैं झुठ क्यों कहूँगा? यकीन न हो तो आधी रात को मेरे साथ चलना।" हाथी उसकी बात मान गया।
आधी रात को खरगोश हाथी को लेकर तालाब के समीप गया। तालाब में पड़ रही चंद्रमा की छवि दिखाकर बोला- "देखो! इसमें चंद्रमा विराजमान है। तुमने और तुम्हारे झुंड ने इसे पैरों से अपवित्र कर दिया है। हम इस तालाब के रक्षक हैं। अतः तुम्हें रोकना हमारा कर्तव्य था। परन्तु तुमने एक न सुनी। अब तुम्हें और तुम्हारे झुंड को चंद्रमा का प्रकोप जल्द ही सहना पड़ेगा।" चंद्रमा की छवि देखकर हाथियों का मुखिया घबरा गया। उसे अपनी गलती पर पछतावा होने लगा।
वह खरगोशों के मुखिया को बोला- "क्षमा करो मित्र मुझे नहीं पता था कि यह चंद्रमा का तालाब है। हम कल ही इस स्थान को छोड़कर कहीं और चले जाएँगे। तुम हमें इनके प्रकोप से बचा लो।" खरगोश हाथी की बात सुनकर मन ही मन बहुत प्रसन्न हुआ और बोला- "तुमने मुझे मित्र कहा है। मैं चंद्रमा देवता को समझाने का प्रयास करूँगा। परन्तु वादा करो कि कल ही तुम अपने झुंड के साथ यहाँ से चले जाओगे।" हाथियों का मुखिया बोला- "हाँ! मैं वादा करता हूँ।" ऐसा कहकर वह अपने दल की ओर चल पड़ा।
हाथियों का झुंड सुबह होते ही जंगल छोड़कर चला गया। खरगोश ने सुबह अपने सभी साथियों को यह खुश-खबरी सुनाई। सभी खरगोश बहुत खुश थे। वे पुन: शांतिपूर्वक प्रसन्नता से रहने लगे। तभी कहा गया कि मनुष्य यदि बुद्धि का सहारा ले तो वह बड़ी-से-बड़ी समस्या का हल शांतिपूर्वक निकाल सकता है।
Pick your avatar